रविवार, 19 सितंबर 2010

अलबादी छोरो


कलास मैं अलबाद करी,
छोरै अलबादी।
बैंच पर खड़यो होजा,
गुरूजी आज्ञा सुणादी।
छोरै तो झट रोणो सो,
मूंह बणा लियो।
बोल्यो खड़यो कीयां होऊं गुरूजी,
मेरो तो टूटयो पड़यो नाळियो।
हरामजादे अभी तेरे,
बाप को बुलाता हूं।
हैडजी नै कहके,
तेरा टी.सी. कटाता हूं।
बाबो तो घरूं बाहर,
आ ई कोनी सकैं,
इसो पक्को इंतजाम,
करके आयो हूं।
ओ नाळियो मैं बांगै ई,
पजामै मूं काढ गै ल्यायो हूं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें