रविवार, 19 सितंबर 2010

बापड़ा रूख


टांग टूटै घोड़ै नै,
मरवा दियो जावै।
सूख चुकै फूलां नै,
जलवा दियो जावै।
एकली छीयां खातर,
कुण लगावै रूंखां नै।
जका फल नीं देवै,
बानै कटवा दियो जावै।

सोच लेईयो


मन्दिर-मस्जिद आस्था है,
आस्था रो कोई भवन नी हुवै।
हिन्दु-मुस्लिम भाई-भाई हैं,
आस्तीन रै सांप सो कोई दुश्मन नी हुवै।
जलती आग मैं घी गेरो तो, थोड़ो सोच लेईयो,
हर बार ओ काम हवन नीं हुवै।

शिकार

बेटा-बेटी मैं फर्क करैं जका,
समझ ल्यो बां रो राम निसरग्यो।
ऊत, कपूत घणां ई जामयां,
घर-घर मैं आंगणियों भरग्यो।
इन्दिरा जेड़ी एक ना जामी,
देखो कित्ताा अरसा गुजरग्यो।
बै जामैं तो कीयां जामैं,
अल्ट्रासाऊण्ड बां रो शिकार करग्यो।

बै सम्भल्या नीं करैं

रिसतां गी सड़क पर,
शर्त गा पहिया, चल्यां नी करैं।
दोस्ती गे पेट मैं,
लालच गा टाबर पल्यां नीं करैं।
पग तिसल्यो तो,
उठ'र फेरूं चाल लेस्यां।
जकांगी नीत तिसली,
बै सम्भल्या नीं करैं।

पटाईलोजी

रमकूड़ी जवान बणगी,
बाल कर'र डाई।
बोबी कट स्टाइल राखै,
घरै आवै नाई।
पटाईलोजी करैं छोरा।
मानै कोनी चेड़ भोरा।
भाभी बीनै कैण लागग्या,
जका कैंता ताई।

पाडो


पक्को राग गाण लागयो,
कब्बाल जी बाडो।
खूब लम्बी हेक काडी,
जोर लगायो डाडो।
रामूड़ै गी दादी,
बोली, बस कर लाडी।
काल ईंयां ई अरड़ायो हो,
अर मर गयो म्हारो पाडो।

भाव-ताव


सब्जी मण्डी मैं,
ईयां ई बूझ बैठयो,
टमाटरां रो मोल,
सेठ बोल्यो - ताजा, बढिया पांच रीपिया,
सड़या, गळया अर बासी,
दस रीपिया किलो गा तोल।
मैं कैयो - अै सड़या टमाटर,
कठै जावैंगा?
बो बोल्यो,
आज म्हारै शहर मैं,
कवि सम्मेलन है,
अै बठै काम आवैंगा।

अलबादी छोरो


कलास मैं अलबाद करी,
छोरै अलबादी।
बैंच पर खड़यो होजा,
गुरूजी आज्ञा सुणादी।
छोरै तो झट रोणो सो,
मूंह बणा लियो।
बोल्यो खड़यो कीयां होऊं गुरूजी,
मेरो तो टूटयो पड़यो नाळियो।
हरामजादे अभी तेरे,
बाप को बुलाता हूं।
हैडजी नै कहके,
तेरा टी.सी. कटाता हूं।
बाबो तो घरूं बाहर,
आ ई कोनी सकैं,
इसो पक्को इंतजाम,
करके आयो हूं।
ओ नाळियो मैं बांगै ई,
पजामै मूं काढ गै ल्यायो हूं।

हम आपके हैं कौन?


छोरो मन्नै बोल्यो मैं,
बणू सलमान खान।
सागै पढती छोरियां स्यूं,
इश्क लड़ाऊंगो।
आधी रात कार भी चलाऊंगो,
शराब पी'र,
सूतै पड़ै लोगां पर,
फेर बो चढाऊंगो।
कालिये मिरग गो शिकार,
करूं भाज-भाज,
इत्तौ काम खातर मैं,
जोधपुर जाऊंगो।
मैं कैयो तन्नै कठै,
जाणगी नी लोड़ बेटा,
'हम आपके हैं कौन?'
तन्नै घर मैं ही बताऊंगो।
अब ताईं रह्यो तेरो बाप बण सुन बेटा,
अमरीशपुरी तन्नै अब बणगै दिखाऊंगो।

दुरगती


आजकाल सड़कां गी,
बड़ी है दुरगती।
आं पर चाल ज्यै,
कोई लुगाई गर्भवती।
तो असपताल जाण गी,
बीनै कोनी जरूरत।
बीच सड़क मैं,
होज्या बच्चै रो मुहूर्त।

डायरी


पति-पत्नी मैं रह्या,
करतो मन मुटाव।
दफ्तर स्यूं आ'र पति,
खोल'र बैठ जांतो किताब।
पत्नी कानी बो,
आंख बी नीं उठांतो।
ओई काम पत्नी नैं,
कोनी सुहांतो।
एक दिन बोली,
हे भगवान तू मन्नै,
लुगाई नीं किताब घड़तो।
फेर कदै तो मेरो पति मन्नैं पढ़तो।
पति भी बोल्यो,
हे भगवान तूं ईन्नैं,
किताब नी डायरी बणांतो।
जद भी नयो साल लागतो
मैं नुंईं लेगै आंतो।

अंग्रेजी टयूसण

घर आली एक दिन,
जद घरां आई हांड।
बोली, अंगरेजी पढस्यूं,
पढासी मैडम टांड।
दो चार दिन चाल्यो टयूसण।
फैल गयो संस्कृतियां गो प्रदूसण।
दोन्यूं हो गयी चूंडम-चूण्डा।
गंदी गाळ काढै बोलै भूण्डा।
टयूसण गै असर,
तो कर दीयो कांड।
आ बीनै कैवै 'बल्लडी फूल',
बा ईनै कैवै कुत्ती रांड।

स्टैण्डर्ड

भगवान मन्नै बोल्या,
''ओ माई डीयर सन''।
मैं तन्नै छप्पर फाड़'र,
दे स्यूं धन।
तो पैलो काम के करसी 'डीयर',
मैं कैयो सर छप्पर गी 'रिपेयर'।
बै बोल्या - अरै कदी तो,
गरीबी रेखा स्यूं ऊपर आया कर।
ख्याली पुलाव अर
मन गा लाडू खाया कर।
मैं कैयो भगवान,
थे गरीबां गा मन, ललचाया ना करो।
अकूरड़ी पर सोण आला नै,
शीश-महल रा सपना दिखाया ना करो।
मैं तो थारे कन्नूं,
छप्पर जित्ती ही आस करो हो।
थे भी तो आदमी गो 'स्टैण्डर्ड' देख'र ही,
बजट पास करो हो।

घड़ी अर घर आली


रामू बोल्यो, श्यामू बता,
घड़ी अर घर आली मैं कितो फर्क है।
श्यामू बोल्यो, ईं बात मैं ओई तर्क है,
घड़ी बिगड़ज्या, तो घर मैं ना खोल।
अर घर आली बिगड़ज्या
तो बींगै सामै ना बोल।

भक्ति भाव


आजकाल
भक्ति भाव मैं
'परमारथ',
इत्तो आ गयो।
ओ भेड़चाल सो
फैशन,
सब जगा छा गयो।
ईंगो कोई भी मौको,
लोग खोण कोनी देवैं।
जणाईं तो 'जुम्मे-जागरण' मैं
स्पीकर लगा'र,
गांव भर नैं सोण कोनीं देवैं।

पति - पत्नी


पति-पत्नी गै बीच मैं,
एकर बहस छिड़ी बड़ी सोणी।
पत्नी बोली- इसो कोई विभाग बताओ,
जकै मैं लुगाई कोनी।
राजनीति, धर्म, थानेदारी, गुण्डागर्दी,
म्हे तो सब जगा बढ़गी हां।
ओर तो ओर म्है तो,
चांद पर भी चढगी हां।
पति गै बात अड़गी,
पण झट बण काढी।
बोल्यो, दमकल विभाग मैं,
थे एक भी कोणी लाडी।
खिसियांती सी पत्नी बोली,
बो तो म्हे जाणगै छोड़यो है,
थे आ बात जाणो कोणी,
म्हारो काम आग लगाणो है, बुझाणो कोनी।

जहाजण


म्हारी धर्मपत्नी नै हवाई जहाज मैं,
चढणै गो मिल्यो पैली बारी चांस।
बण सुण राख्यो हो, कि ऊपरूं देख्यां,
कीड़ीयां बरगा दीसै, नीचला मानस।
चढतां ही बोली, देखो रै देखो,
कीड़ीयां बरगा दीसैं
बापड़ा नीचला लोग-लुगाई।
एयर होस्टेस हंस'र बोली,
अै वास्तव मैं ईं कीड़ीयां हैं,
अजे जहाज,
उड्डयो कोनी ताई।

ईनै के कहस्यां

म्हारा एक गुरूजी,
बड़ा ही महान है।
आजकाल 'अन्न बचाओ',
अभियान कानी ज्यादा ही ध्यान है।
हफतै मैं तीन-चार दिन,
बरत करैं।
बीं दिन बिचारा बरफी, दूध
अर केला स्यूं ही,
आपगौ पेट भरैं।

नेक काम

आजकाल इश्क पर,
अर्थ कित्तो हावी है।
आजकाल गी महबूबा,
कित्ती दुनियावी है।
एक उदाहरण देखियो विचार गै।
प्रेमी बोल्यो - तेरे प्यार में मरूं हूं।
अपणै जीवण गो अन्त करूं हूं।
कुएं मैं छलांग मार गै।
माशूका बोली- मरै है तो मर,
एक नेक काम तो कर।
अब्बा गे काम आजैगो,
ओ लंगोट तो देजा उतार गै।

दो रीपीया मैं


अफसर बड़ो ही,
उसूल पसंद।
रिश्वत लेण गो,
न्यारो ई ढंग।
जित्ती तारीख,
बित्ता ही रीपीया लेवै।
फेर अगलै गो,
काम कर'र देवै।
गणतन्त्र दिवस पर,
छब्बीस लेंतो।
शहीद दिवस पर,
तीस लैस्यूं कैंतो।
लोग भी खूब नहले पर,
दहला टिकावंता।
घणकरा सा काम,
गांधी-जयन्ती आळै दिन ही करांवता।

पुर्जो


बी.ए. गी परीक्षा मैं,
एक छोरी नकल गी परची ले'र आई।
एग्जामिनरां री नजर स्यूं,
बा बच कोनी पाई।
बुढो प्रोफेसर बोल्यो- नारी वर्ग भी अब,
मर्दां स्यूं आगी जाण लागरिया है।
जवान प्रोफेसर बोल्यो- जणां ई तो,
आजकल पुर्जा भी पुर्जा ल्याण लागरिया है।

कंजूस

सेठ करोड़ीमल हो,
जबरो ही कंजूस।
चा मैं पड़ती माखली,
बीनैं लेंतो चूस।
दमड़ी खातर बोकतो,
छोरी नै नित टोकतो।
कि जद एक स्यूं सरै,
तो तूं दो चोटी क्यूं करै?

फारजैंट छोरी


छोरै खातर छोरी देखण गया,
छोरी फारजैंट।
छोरो बिचारो गोबर गणेश,
मांग'र पैरी पैंट।
छोरी बोली- बन्ना जी,
कोई बात तो बताओ।
अर आ समोसा खाणै मैं,
मेरा साथ तो निभाओ।
छोरो बुंदलाइज्गयो,
अर कढ्ढी ढोल दिखाई।
बोल्यो- हैं भैण जी,
थे कित्ता हो भैण-भाई?
छोरी माथै पर हाथ मारया,
कि तेरा तो बेड़ा पार हो गया।
अब तांई तीन हा,
अब तन्नै मिलागै चार हो गया।

फब्बारा सिस्टम


जद स्यूं चाल्यो है,
खेतां मैं फब्बारा सिस्टम।
कई किसानां गी,
किस्मत जाग गी।
बूंद-बूंद स्यूं तो घड़ो ई नीं भरतो,
अब भखारी भरण लागगी।
टयूबवैल पर 'फागण' गावै,
ट्राली भर मण्डी नै जावै।
जकै नै चा पीण गी भी,
आदत नीं होंती।
दारू पीण गी बीनैं,
बाण लाग गी।

चोट

नकली नोट छापणियां,
खुद ही खागयो चोट।
जल्दबाजी मैं छाप बैठयो,
साठ-साठ गा नोट।
साठ गा नोट बाजारां मैं तो,
जिन्दगी भर नीं चालैगा।
भोला-पंछी गांव-निवासी,
ईं झांसै मैं आलैगा।
बड़ी उम्मीदां ले'र बाबू,
एक गांव मैं आवै।
एक देहाती कन्नूं बा,
नोट खुल्लो करवावै।
साठ गो नोट देख देहाती मुळक्यो,
कि आछी आई ताबै।
तीस-तीस गा नोट आकरा,
मैं भी फिरूं हूं कद गा दाबै।

शनिवार, 18 सितंबर 2010

औलाद

तेज रफ्तार औलाद सामी,
माइत ईयां लागै।
जीयां कबाड़ होयो रेडियो,
रंगीन टी.वी. आगै।
छोरो विज्ञानी गी पूंछ,
राखै कोनी मूंछ।
सारी-सारी रात लेबोरेट्री मै जागै।
कैवे, आजकल तैयार करूं बाप गो क्लोन,
सूणी सी माऊ भी, घड़ लेस्यूं सागै।

सेब आला बाबा


सेब आला बाबा

म्हारै एक भैंस है,
बीस साल होग्या, कदे बयाई कोनी।
अस्पताल गई कोनी,
नसबन्दी करवाई कोनी।
ईं खातर म्हारी गली मैं,
कदे झोटै गी दीसी, परछाई कोनी।
अर बींगै हाई करेक्टर पर,
आजतक आंच आई कोनी।
अब म्है पछतावां,
कि ईन्नै पाडां आला नैं ईं पकड़ावां।
फेर सोचां के इत्ती छोटी सी,
बात भी आपणी समझ मैं आई कोनी।
ईनैं सेब आलै बाबै कन्नू,
दवाई दिरा'र पसू मेलै मैं सरकाई कोनी।