शनिवार, 30 अक्तूबर 2010

अजब-गजब धोरां री काया-माया

आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख
-१८//२००९

अजब-गजब धोरां री काया-माया


रूपसिहं राजपुरी रो जलम 15 अगस्त, 1954 नै संगरिया तहसील रै गांव मोरजंडा सिक्खांन में होयो। राजस्थानी में साहित रचणवाळा देस रा पै'ला सरदार। देस-विदेस में हास्य-कवि रै रूप मांय चावो नाम। सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड अर हांगकांग रै मंचां पर राजस्थानी कविता पाठ। आधा दरजन पोथ्यां रा लिखारा। शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यापक। रावतसर में बसै। राजस्थानी मान्यता आंदोलन सूं सरू सूं ई जु़डाव। दूरदर्शन अर रेडियो सूं प्रसारण।

-रूपसिहं राजपुरी
कानाबती- 9928273519

राजस्थानी धरती री पिछाण आन-बान खातर पिराण लुटावणियां रण-जोधां सूं है, जकां रा नाम चेतै करतां ई काळजै में करण-करण, बूकियां में सरण-सरण अर मूंछ्यां में फरण-फरण होवण लागज्यै। अठै इस्या-इस्या बीर हुया, जका सिर कट ज्याण पछै भी बैरयां रा सिर कड़बी-सा काट-काट छांग लगांवता। जोर पिताण अर हथियारां रो काट उतारण सारू लड़ाई मोल ले लेंवता। उधारी लेवण सूं भी को चूकता नीं। जद ई तो कैयो है-

केसर नंह निपजै अठै, नंह हीरा निपजंत।
सिर कटियां खग सांभणा, इण धरती उपजंत।।

ईं धरती री पिछाण एक और चीज सारू भी है, बा है, ईं रा धोरा। जिकां नै टीबड़िया भी कैवै। धड़ा भी कैवै। दूर-दूर तांणी रेत रो समंदर। आंधी, बोळी-काळी आंधियां अठै सूं ई उपजती अर अठै ई खत्म हो जांवती। भरमां-बहमां रा बाप भंभूळिया भी अठै ई जलमता। रात ई रात में चै'न चक्कर बदळ जांवतो। नक्सो पळट जांवतो। मोटोड़ो धोरो गावं री आथूणी कूंट होंवतो पण दिनूगी नै अगूण दीसतो।
आं धोरां सागै ई जु़ड्यो है अठै रै रैवासियां रो जीणो-मरणो। टाबर गुडाळियां चालणो पैलपोत रेत पर ई सीखै। पक्कै फरस पर सौ जोखम। पण रेत मां री गोद-सी सुखाळी-रूपाळी। ठुमक-ठुमक, रूणझुण बजांवतो टाबर कोडां-कोडां मे ई चालणो सीख जावै। मोटा होवण रै पछै रेत सूं हेत बधै। जेबां-झोळ्यां भर-भर खेलै। साथी-संगळियां पर उछाळै। किलोळ करै। थोड़ा और मोटा होय'र डांगर-ढोर चराण जावै तो आं टीबां में सरण मिलै। धोरां री ओट भांत-भांत रा खेल खेलै। कुरां-डंडो, आंधो-झोटो, सक्कर-भिज्जी, लूणिया-घाटी, लाला-लिगतर अर मुरचा-पिछाण।
कित्ता ई चिड़ी-जिनावर टीबां रै आसरै दिन कटी करै। हेरण, रोझ, गोडावण, चीतल, सांभर, गादड़, लूंकड़, रो'ई-बिल्ला, सेह, गोह, नेवळिया, गोईरा, सुसिया, परड़, बिच्छू, ऊंदर, टीटण, कसारी, किरड़कांटी, भूंड-भूंडियो अर बू़ढी-माई बरणा अलेखूं जीव-जिनावर धोरां सूं हेत को तोड़ सकै नीं। तीतर, बुटबड़, गिरझ, चील, घग्घू, सिकरा, बाज, कोचरी अर कागडोड टीबां सूं दूर कठै! बणराय मतलब वनस्पति रा तो ऐ धोरा खैंण। डचाब, बूर, भुरट, सींवण, खींप, सिणियो, बूई, बोझा, झाड़की, रोहिड़ा, खेजड़ी, इरणां, जाळ, सरकणां, फोग, रींगणी, धतूरा, आक, आसकंद, मूसळी, कुरंड, मोथियो, और कठै लाधै!
छोरी नै परणावण सारू हाथ पीळा करण री कैबा ना चाल'र धोरियै ढळावण री कैबा चालै। घणा ई धोरा आपरै नाम सूं औळखीजै। लाखा धोरा, टेसीटोरी धोरा, समराथळ धोरा, रत्ता टीबा। सूरतगढ़ रै आ'र-बा'र रो सैकड़ूं मील रो ऐरियो टीबा खेतर रै नांव सूं जाणीजै। सदियां सूं टीबा गांव-गुवाड़ रा साखी अर संस्कृति रा रथवान। जद तक दुनिया रै'सी। टीबां री बातां रैसी। फिलमां आळा अर विदेशी सैलाणी टीबां कानी भाज्या आवै तो कोई तो कारण होसी!

आज रो औखांणो

धोरा किण री कांण राखै, चढ़तां दौरा तो उतरतां सौरा।

टीले किसी का लिहाज नहीं रखते, चढ़ते हुए कठिन तो उतरते हुए आसान।

चाहे अमीर चढ़े या गरीब, चाहे राजा चढ़े या रंक दोनों के लिए चढ़ना मुश्किल और उतरना आसान।

शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

SPEECH DETE HUYE


IN FARM

SP SAWAI SINGH GODARA KE SATH

TEHSILDAR VIRENDER SINGH DUDDI KE SATH

SHIV RAJ BHARTIYA KE SATH

SHASHI DATTA KE SATH

KAVI SAMMELAN RAWATSAR ME KAVITA PATH KARTE HUYE

RANI LAXMI KUMARI CHUNDAWAT KE SATH

NAGAR KIRTAN RAWATSAR


SCOUTING ME ROOP SINGH RAJPURI