सोमवार, 27 दिसंबर 2010

पुलिस


पुलिस अलबादी छोरो |
जके गे हाथ में डंडियों पाँच पोरो |
कानी- कानी जेबां, महं माल नावड़े बोरो |
जनता बोरडी गो पेड़,
ओ जद चढ़ ज्य बीं छोरे गे गेड़,
तो जित्ता डंडिया पड़े,
बित्ता ई बोरिया झड़े|

रविवार, 19 दिसंबर 2010

सीख


बरसना है तो रामजी ढंग स्यूं बरसो,
गाजण-गूजण में के पड़यो है |
पति न परमेशर मानो ए पत्नियों,
साजण-सूजण में के पड़यो है |
घरूं पढ़ण जान्ती छोरियां न इत्तो ई कहंनो है ,
थे दौड़ लगाण सीख ल्यो,
भाजण-भूजण में के पड़यो है

शनिवार, 18 दिसंबर 2010

दिल की बात


जुबां जब चुप रहती है,
निगाह बात करती है |
तेरी झुकी हुई निगाह भी,
खुबसूरत फ़साना है |
वो उंगली पर लपेटना दुपट्टा,
पांव के अंगूठे से धरती पर
कुछ लिखना और मिटाना,
रुक-रुक के चलना ,
फिर पलट के देखना,
शरमा के भाग जाना ,
और छत पर आ जाना
तस्लीम-ए-मुहब्बत का
दिलकश बहाना है |