मन्दिर-मस्जिद आस्था है, आस्था रो कोई भवन नी हुवै। हिन्दु-मुस्लिम भाई-भाई हैं, आस्तीन रै सांप सो कोई दुश्मन नी हुवै। जलती आग मैं घी गेरो तो, थोड़ो सोच लेईयो, हर बार ओ काम हवन नीं हुवै।
पक्को राग गाण लागयो, कब्बाल जी बाडो। खूब लम्बी हेक काडी, जोर लगायो डाडो। रामूड़ै गी दादी, बोली, बस कर लाडी। काल ईंयां ई अरड़ायो हो, अर मर गयो म्हारो पाडो।
पति-पत्नी मैं रह्या, करतो मन मुटाव। दफ्तर स्यूं आ'र पति, खोल'र बैठ जांतो किताब। पत्नी कानी बो, आंख बी नीं उठांतो। ओई काम पत्नी नैं, कोनी सुहांतो। एक दिन बोली, हे भगवान तू मन्नै, लुगाई नीं किताब घड़तो। फेर कदै तो मेरो पति मन्नैं पढ़तो। पति भी बोल्यो, हे भगवान तूं ईन्नैं, किताब नी डायरी बणांतो। जद भी नयो साल लागतो मैं नुंईं लेगै आंतो।
घर आली एक दिन, जद घरां आई हांड। बोली, अंगरेजी पढस्यूं, पढासी मैडम टांड। दो चार दिन चाल्यो टयूसण। फैल गयो संस्कृतियां गो प्रदूसण। दोन्यूं हो गयी चूंडम-चूण्डा। गंदी गाळ काढै बोलै भूण्डा। टयूसण गै असर, तो कर दीयो कांड। आ बीनै कैवै 'बल्लडी फूल', बा ईनै कैवै कुत्ती रांड।
भगवान मन्नै बोल्या, ''ओ माई डीयर सन''। मैं तन्नै छप्पर फाड़'र, दे स्यूं धन। तो पैलो काम के करसी 'डीयर', मैं कैयो सर छप्पर गी 'रिपेयर'। बै बोल्या - अरै कदी तो, गरीबी रेखा स्यूं ऊपर आया कर। ख्याली पुलाव अर मन गा लाडू खाया कर। मैं कैयो भगवान, थे गरीबां गा मन, ललचाया ना करो। अकूरड़ी पर सोण आला नै, शीश-महल रा सपना दिखाया ना करो। मैं तो थारे कन्नूं, छप्पर जित्ती ही आस करो हो। थे भी तो आदमी गो 'स्टैण्डर्ड' देख'र ही, बजट पास करो हो।
रामू बोल्यो, श्यामू बता, घड़ी अर घर आली मैं कितो फर्क है। श्यामू बोल्यो, ईं बात मैं ओई तर्क है, घड़ी बिगड़ज्या, तो घर मैं ना खोल। अर घर आली बिगड़ज्या तो बींगै सामै ना बोल।
आजकाल भक्ति भाव मैं 'परमारथ', इत्तो आ गयो। ओ भेड़चाल सो फैशन, सब जगा छा गयो। ईंगो कोई भी मौको, लोग खोण कोनी देवैं। जणाईं तो 'जुम्मे-जागरण' मैं स्पीकर लगा'र, गांव भर नैं सोण कोनीं देवैं।
पति-पत्नी गै बीच मैं, एकर बहस छिड़ी बड़ी सोणी। पत्नी बोली- इसो कोई विभाग बताओ, जकै मैं लुगाई कोनी। राजनीति, धर्म, थानेदारी, गुण्डागर्दी, म्हे तो सब जगा बढ़गी हां। ओर तो ओर म्है तो, चांद पर भी चढगी हां। पति गै बात अड़गी, पण झट बण काढी। बोल्यो, दमकल विभाग मैं, थे एक भी कोणी लाडी। खिसियांती सी पत्नी बोली, बो तो म्हे जाणगै छोड़यो है, थे आ बात जाणो कोणी, म्हारो काम आग लगाणो है, बुझाणो कोनी।
म्हारा एक गुरूजी, बड़ा ही महान है। आजकाल 'अन्न बचाओ', अभियान कानी ज्यादा ही ध्यान है। हफतै मैं तीन-चार दिन, बरत करैं। बीं दिन बिचारा बरफी, दूध अर केला स्यूं ही, आपगौ पेट भरैं।
आजकाल इश्क पर, अर्थ कित्तो हावी है। आजकाल गी महबूबा, कित्ती दुनियावी है। एक उदाहरण देखियो विचार गै। प्रेमी बोल्यो - तेरे प्यार में मरूं हूं। अपणै जीवण गो अन्त करूं हूं। कुएं मैं छलांग मार गै। माशूका बोली- मरै है तो मर, एक नेक काम तो कर। अब्बा गे काम आजैगो, ओ लंगोट तो देजा उतार गै।
सेठ करोड़ीमल हो, जबरो ही कंजूस। चा मैं पड़ती माखली, बीनैं लेंतो चूस। दमड़ी खातर बोकतो, छोरी नै नित टोकतो। कि जद एक स्यूं सरै, तो तूं दो चोटी क्यूं करै?
छोरै खातर छोरी देखण गया, छोरी फारजैंट। छोरो बिचारो गोबर गणेश, मांग'र पैरी पैंट। छोरी बोली- बन्ना जी, कोई बात तो बताओ। अर आ समोसा खाणै मैं, मेरा साथ तो निभाओ। छोरो बुंदलाइज्गयो, अर कढ्ढी ढोल दिखाई। बोल्यो- हैं भैण जी, थे कित्ता हो भैण-भाई? छोरी माथै पर हाथ मारया, कि तेरा तो बेड़ा पार हो गया। अब तांई तीन हा, अब तन्नै मिलागै चार हो गया।
जद स्यूं चाल्यो है, खेतां मैं फब्बारा सिस्टम। कई किसानां गी, किस्मत जाग गी। बूंद-बूंद स्यूं तो घड़ो ई नीं भरतो, अब भखारी भरण लागगी। टयूबवैल पर 'फागण' गावै, ट्राली भर मण्डी नै जावै। जकै नै चा पीण गी भी, आदत नीं होंती। दारू पीण गी बीनैं, बाण लाग गी।
म्हारै एक भैंस है, बीस साल होग्या, कदे बयाई कोनी। अस्पताल गई कोनी, नसबन्दी करवाई कोनी। ईं खातर म्हारी गली मैं, कदे झोटै गी दीसी, परछाई कोनी। अर बींगै हाई करेक्टर पर, आजतक आंच आई कोनी। अब म्है पछतावां, कि ईन्नै पाडां आला नैं ईं पकड़ावां। फेर सोचां के इत्ती छोटी सी, बात भी आपणी समझ मैं आई कोनी। ईनैं सेब आलै बाबै कन्नू, दवाई दिरा'र पसू मेलै मैं सरकाई कोनी।