रूपसिंह राजपुरी
रविवार, 19 सितंबर 2010
बापड़ा रूख
टांग टूटै घोड़ै नै,
मरवा दियो जावै।
सूख चुकै फूलां नै,
जलवा दियो जावै।
एकली छीयां खातर,
कुण लगावै रूंखां नै।
जका फल नीं देवै,
बानै कटवा दियो जावै।
1 टिप्पणी:
Unknown
मंगलवार, जून 14, 2011 8:46:00 am
rajpuri ji jakka kaat diya bangi jigiyan dusara laga diya jave thanx
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rajpuri ji jakka kaat diya bangi jigiyan dusara laga diya jave thanx
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