रूपसिंह राजपुरी
शनिवार, 18 सितंबर 2010
औलाद
तेज रफ्तार औलाद सामी,
माइत ईयां लागै।
जीयां कबाड़ होयो रेडियो,
रंगीन टी.वी. आगै।
छोरो विज्ञानी गी पूंछ,
राखै कोनी मूंछ।
सारी-सारी रात लेबोरेट्री मै जागै।
कैवे, आजकल तैयार करूं बाप गो क्लोन,
सूणी सी माऊ भी, घड़ लेस्यूं सागै।
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