रूपसिंह राजपुरी
शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010
SPEECH DETE HUYE
1 टिप्पणी:
ओम पुरोहित'कागद'
रविवार, अक्तूबर 31, 2010 4:30:00 am
तगडा़ बुलाकड़ हो थे तो-म्हे जाणां भाई ्पण बताओ तो सरी कांई स्पीच्या !
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तगडा़ बुलाकड़ हो थे तो-म्हे जाणां भाई ्पण बताओ तो सरी कांई स्पीच्या !
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